२० मंसिर २०८१, बिहीबार December 5, 2024

पोस्टा चर्चा : पर्वतके महारानीक् एक झलक

५ कार्तिक २०७८, शुक्रबार
पोस्टा चर्चा : पर्वतके महारानीक् एक झलक

नेपालके सबसे बरवार पुरस्कार हो, मदन पुरस्कार । विक्रम् संवत् २०७६ सालके मदन पुरस्कार घोषणामे चन्द्रप्रकाश बानियाँके उपन्यास ‘महारानी’ घोषणा हुइटिकिल यी पोस्टा पह्रना उत्सुक हुइल रहुँ । कारन विशेषसे बजारमे अइटिकिल यी पोस्टासे भेट नैहुइल रहे । मने, यी सालके डस्यक् छुट्टिमे महारानीहे काहे नैझक्ना कहिके धनगढीसे गाउँ आइबेर झोल्या लेनुँ ।
यी मोर महारानीहे एक फेरा झाकेबेरिक अनुभूति किल हो । मै यी पोस्टाके बारेम कुछ चर्चा करे खोज्ले बटु, और कुछ नै । मै खास ढेर पोस्टा पह्रनामे नैपरठु । टब फेन, कुछ चर्चित नाउँ चलल् पोस्टा, कुछ मदन पुरस्कार विजेता पोस्टा ओ थारु साहित्यसम्बन्धी पोस्टा अध्ययनके लाग अपन ठन ढरले भर रठुँ । ओहेओरसे यी डस्यामे मोर रोजाइमे ‘महारानी’ परल ।
लेखक बानियाँ आधारभूमिमे लिख्ले बटै, यी उपन्यास बाइसी चौबीसी राज्यकालके इतिहाससँग कुछ ‘फिक्सन’ जोरके तयार हुइल हो । उपन्यासके खिस्सा चौबीसी राज्यमध्येके ‘मलेवम प्रदेश’ कहिके लोकप्रसिद्ध ‘१६ हजार पर्वत राज्य’के हो ।’ यी उपन्यास पाठक वर्गनहे कालीगण्डकी ओ म्याग्दी लडियक संगममे रहल बेनीबजारके पश्चिम खण्डमे अवस्थित ‘कुरिला–खर्क’ वरपर घुमाइठ ।
बेनी बजारके पश्छिउओर काँल्लामे महारानी थान बा । रुख्वक् टरे महारनीके पूजा हुइठ् । महारानी के रहि ? कहियासे पूजा हुइ लागल ? के ओ काहे पूजा करल ? जैसिन प्रश्न अनुत्तरित बा, उपन्यासमे । किंबदन्ती बाहेक तथ्य प्रमाण कुछ हाँठ नैहो लागल । मने, यिहे जनविश्वासहे सहयोग करना पर्वत राज्यके इतिहाससँग नाता जुरल बा । उ मूल नाता हो महारानी विश्वप्रभाके । कारणवस उहाँ महारानी बने नैपैलि । मने उहाँहे महारानी कहिगिल । पद्वी उहाँहे पीडा डेहल भान हुइल । महारानी पद्वीके बोझा ठाम्हे नैसेक्के सन्यास लेलि । ओस्टेक हेरागैलि, किंवदन्ती बन्के ।
पर्वते राजा प्रतापी नारायण मल्ल बीस हजार पर्वत राज्यहे अपन तीन छावा ओ दुई भतिज्वाहे भाग लगा डेठ । बर्काहे गल्कोट, छोट्काहे कास्की राज्य ओ मन परल छावा मंझलाहे पर्वत राज्य, सोह्र हजार पर्वत । पर्वते महाराजके दुई महारानी बर्की गुलबदन ओ छोट्की जयन्ती, मलेबम ओ बद्रीबम दुई ठो राजकुमार बटैं । जन्मेसे भारी मलेबम मने गर्भसे भारी बद्रीबम । छोट्की महारानी जयन्ती अपन खुसीसे चलजैठि लैहर, जुम्ला । ओहैं बिट्ठी । राजा फेन मतलब नैकरठैं । बद्रीबमके लालनपालन, शिक्षा, दिक्षा जुम्लामे हुइठ । लक्का जवान हुइलबाद पर्वत लौट्ठैं बद्री, कमल जैशीके सँग, जुम्लाके राजाके स्पष्ट सन्देश सहित । पर्वत अइनाके एक्के मक्सद बा राज करना, राज्य अंश खोज्ना । यी प्रस्तावसे पर्वत राज्यके निन्द हराम करले रहठ । बद्रीबमहे मनैना, फुस्लैना ओ डरवैना काम चलल बा ।
यहोर, मलेबमहे राज्यके उत्तराधिकारीके रूपमे लेहल बा । उहाँक भोजके लाग डोली मंगाइल बा । रानीवासमे राजकुमारीहुकनके वास बा । उचित साइतके पर्खाइमे देउपुरके राजकुमारी विश्वप्रभा ओ अर्घाखाँचीके महलवसन्ताके डोली आइल बा । एक राजकुमारी बहिर्मुखी ओ औरे अन्तर्मुखी बटैं । विश्वप्रभा वैंशके चह्रल, दूधले लहाइलहस गोह्रर हँसमुख ओ सञ्चल । ओज्रार मुहार, निर्णय क्षमता, बाचाल ओ सुन्दरताले भरल । महलवसन्ता फेन फेंके टे कहाँ मिलि ? टबफेन युवराज मलेबम विश्वप्रभाके सुन्तरता ओ मोहित बोलीमे फस्लैं ओ ओम्हे लठ्ठ बटैं ।
यहोर महाराज ओ महारानीके मन फेन जिट्ली विश्वप्रभा, महारानी बन्न छाँट उहाँमे आइ लागल रहे । फुर्सदमे राजकुमार ओ राजकुमारीहुक्रे घुमे जाइट । मैया साटासाट करिट । मन्दिर पुगिट, वनभात खाइँट् । सिकार खेलिट । उपारके हिमश्रृंखला हेरके फुन्याइट् । प्रकृतिके मनोरम छटा डेख्के रमैटि अपन जिन्गिक् सुख–दुःखके सपना बिनिट् ।
यिहे बेला दरबारमे राज्यसभा बैठल । राज्यके निन्द चैन हेरवैले रठैं भद्रीबम । भाइ भारदार, गुरु पुरोहित, काजी सरदार सबजे भद्रीहे जैसिक फे मनैनामे लागल रठैं । छलफलके विषय पर्वत राज्यके उत्तराधिकारी चयनके रहठ । राज्यके विभाजन हुइ नैसेकि, नैकरेक परल कनामे एकमत बा राज्य सभा । जन्मसे भारी मलेबम राज्यके उत्तराधिकारी हुइट कनामे राज्य एकओर हुइल बा । यी बाट जानके भद्रीबम पर्वतके राज्यसे दुई चिज मंग्लैं, ज्यामरुककोटके जागिर ओ विश्वप्रभाके हाँठ । यी बाट सुनके राजकुमारी विश्वप्रभा ओ राजकुमार मलेबम पहारेक छांगामनसे गिरके घाहित हस हुइलैं । मने, दरबरियाहुक्रे विश्वप्रभाहे मनैलैं, उहाँ फँसलि । विश्वप्रभा बलिके बोका बन्लि । उहाँक अनाडीपनके ओ प्रेमके ब्ल्याकमेलिंग हुइल । उहाँ राजकुमारहे फेन मनैना बाध्य पारगिल ।
राजकुमारी विश्वप्रभा अपन आँश नुकाके राजकुमारहे फेन मनैलि । राज्य, प्रजाके लाग व्यवहारिक हुइ परना सुझैलि । विश्वप्रभा राजकुमारहे एक लवन्डिक लाग राजपाठ छोरना प्रेमखिस्सामे मजा लग्ना, मने व्यवहारमे कदापी उचित नैरना कटि अपने राज्यप्रतिके त्याग करके डेखैलि । ओस्टेक, पर्वत राज्य अक्षुण, अखण्ड रहे कना चाहल उहाँ इच्छा राजकुमारसे पुरा होए कना बा । यि प्रेमोपहारहे राजकुमार एक सच्चा प्रेमी प्रेमिकासे डेहल ओरसे उपेक्षा नैकरिट कना फेन चाह विश्वप्रभाके बा । मने, उहाँहे प्रेमके खातिर बिछोड अंगाले परल । मनके चाहहे किच्ले परल । अपन जवानी घाममे सुखैलि । भोज हुइल, मने भद्रीबमसे । मलेबम राज्य सम्हरलैं ।
मने, भद्रीबम राज्य हडपेक लाग फाँडा लगैले रहैं । उ फाँडाके बाट विश्वप्रभाहे पटा चलठ । विश्वप्रभा का सोच्ले रहि का हुइल । अइसिन जिन्गी जिना रहर टे नैरहिन टबफेन का करना हो ज्यान नैफेक्ना कसम जो खैलि रहि मलेबमके ठन । भद्री, डिल्ली भुजेल, राम थापा ओ कमल जैशीके षड्यन्त्र पटा पैलि । माता गान्धारीमार्फत् दरबारमे पत्राचार करलि । ओ, राज्य विरुद्ध षड्यन्त्र करल ओरसे भद्रीबम ओ कमल जैशीके हत्या हुइल ।
यहोर राजकुमारीहे कुरिलाखर्कके रानीवासमे बैठना व्यवस्था मिलागिल, उहाँक लाग दरबार बनटेहे । उहाँहे राजमाता कहे लागल रहे । पर्वतके महारानी उपाधि पा गिल रहि । टब्बहि उहाँमे वैराग्य जागल । जिन्दगी खोट सिक्काजस्टे लागे लागल । छ महिना कटैना कर्रा । जिन्गी लुटल टे सहले रहि, पति घातिफेन हुइलि । सन्यासके मार्ग बाहेक औरे मार्ग नैरहे उहाँक्संग । हिराके मुन्डरी ओ असर्फी अपन सुसारे रम्भाहे डेलि ओ वैशाख पूर्णिमाके रात माता गान्धारीसंग बाघडाँडा पुग्ली । बाबा योगेश्वर सुन्दर उहाँक केश मुण्डन करडेलैं । ओहैं समाधिस्थ कैलि । सन्यासी बन्लि । लौवा जलम लेलि । बाबा योगेश्वर ओ माता गान्धारीसंग लग्लिवृन्दावन ओर । यहोर अंगठिक हिरा लिलके रम्भा देहत्याग करलि ।
उपन्यासमे एक नारी अपन ज्ञान, शिक्षा, दिक्षा, सीपसहित कर्तव्य ओ जिम्मेवारी बहन पूरा करठ, मने पाइबेर बर कम या कुछ न कुछ । जिन्गीभर अपन दरबार, जनता, प्रजाके लाग त्यागी महारानी अन्तिममे पद्वी किल पाइल उपन्यास कहठ । टबेमारे जिन्गी जिएक लाग धनसम्पत, मानसम्मान, पद्वीसे किल नैचलठ् । यी सब पाइक बेर उचित समय, व्यक्ति फेन साथ रहे परना डेखाइठ । हुइना टे जिन्गी घामछाँही हो । विश्वप्रभा नारी रहि । उहाँहे दाउमे लगागिल । उहाँक लाग ओड्रा लगागिल । बेलस गिल, गोटी बनागिल दरबारके लाग, पर्वतके माटिक् लाग, शक्ति ओ सत्ताके लाग । ओजरिया छोरके अन्धरिया रोज्ली विश्वप्रभा । रोज्ना बाध्य हुइलि, बाध्य पारगिल । ओम्हे विश्वप्रभाके कमलह्रिया रम्भा फेन बलिदानी डेलि काहे ? प्रश्न जटिल बा । महारानी बलिदानी त्याग ओ सम्पर्णके खिस्सा हो । वियोगान्त खिस्सा हो । एकफेरा सब्जे पह्रलेसे मजा ।