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सरकारी कामकाजके भाषाके लाग सुदूरपश्चिम ओ लुम्बिनी प्रदेशमे थारु भाषा सिफारिस

२२ भाद्र २०७८, मंगलवार
सरकारी कामकाजके भाषाके लाग सुदूरपश्चिम ओ लुम्बिनी प्रदेशमे थारु भाषा सिफारिस

काठमाडौँ । संविधानके कार्यान्वयनके क्रममे गठित भाषा आयोगसे सरकारी कामकाजके भाषाके आधार निर्धारणसहित नेपाल सरकारहे भाषासम्बन्धी सिफारिस करले बा । आयोगके एक महत्वपूर्ण कार्यभार रहल उक्त सिफारिससहितके प्रतिवेदन सोम्मारके प्रधानमन्त्री निवास बालुवाटारमे प्रधानमन्त्री शेरबहादुर देउवाहे आयोगके अध्यक्ष डा लवदेव अवस्थी हस्तान्तरण करल रहिट । प्रधानमन्त्री देउवासे आयोगसे समयमे सक्कु भाषाबारे अध्ययन, अनुसन्धन ओ विश्लेषण कैके सिफारिस करलमे आयोगप्रति सन्तोष व्यक्त करलै ।
नेपालके संविधानको धारा २८७ मे रहल व्यवस्थानुसार २०७३ भदौ २३ गते गठित आयोगसे पाँच बरसभित्रे सरकारी कामकाजके भाषाके सिफारिस कैना मुख्य कार्यादेश पाइल रहे । आयोगसे प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषाके सम्बन्धमे संविधानके धारा ७ (२) बमोजिम प्रदेशसे नेपाली भाषाके अतिरिक्त आपन प्रदेशभिट्टर बहुसंख्यक जनतासे बोल्ना एक वा एकसे ढिउर अन्य राष्ट्रभाषाहे कानूनबमोजिम प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषा, अन्य राष्ट्रभाषाहे प्रदेश कानूनबमोजिम प्रदेशके सरकारी कामकाजके भाषा निर्धारण करे सेक्ना मेरके संविधानमे व्यवस्था करल बा ।
आयोगसे सिफारिस करेबर अधिक जनसंख्याके आधार, स्तरगत भाषा योजनाके सैद्धान्तिक आधार, लेखन प्रणाली, अभिलेखन, आधारभूत सेवाके आधार, शिक्षाके माध्यम भाषाके आधार, वक्ताके सघनता ओ विस्तार, भाषिक जीवन्तता, सञ्चार प्रयोग, प्रविधिउन्मुख भाषा, भाषाके वक्ता आ भाषिक समुदायजैसिन आधार मानल बा ।
सिफारिसअनुसार प्रदेश नं १ मे एक प्रतिशतसे ढिउर संख्या रहल १४ राष्ट्रभाषामध्ये मैथिली ओ लिम्बूभाषाहे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे लन्ना सुुझैले बा । इ प्रदेशमे नेपाली ४३ दशमलव ०७, मैथिली ११ दशमलव १९ ओ लिम्बूू भाषाके ७ दशमलव ३१ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल बा ।
प्रदेश नं २ के लाग मैथिली, भोजपुरी ओ बज्जिका भाषाहे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे लन्ना सिफारिस करल बा । इ प्रदेशमे मैथिली ४५ दशमलव ३०, भोजपुरी १८ दशमलव ५८, बज्जिका १४ दशलमव ६५ ओ नेपाली भाषाके छ दशमलव ६७ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल बाटै । वाग्मती प्रदेशके लाग १८ दशमलव ३२ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल तामाङ ओ १२ दशमलव ३० प्रतिशत वक्ता संख्या रहल नेवार भाषाहे कामकाजके भाषाके रुपमे सिफारिस करल बा । इ प्रदेशमे नेपाली भाषाके वक्ता संख्या ५७ दशमलव ४२ प्रतिशत रहल बा ।
गण्डकी प्रदेशके लाग नौ दशमलव ०३ वक्ता संख्या रहल मगर भाषा, सात दशमलव ८५ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल गुरुङ, सात दशमलव ०७ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल भोजपुरीहे सिफारिस करल बा । इ प्रदेशमे ६७ दशमलव ८८ प्रतिशत नेपाली भाषाके वक्ता संख्या रहल बा ।
लुम्बिनी प्रदेशके लाग १३ दशमलव १५ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल थारु ओ ११ दशमलव ५२ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल अवधि भाषाहे सिफारिस करल बा । इ प्रदेशमे नेपाली भाषाके वक्ता संख्या ५४ दशमलव ७० प्रतिशत रहल बा । कर्णाली प्रदेशमे नेपालीबाहेक एकठो किल राष्ट्रभाषा रहल मगर भाषाहे सिफारिस करल बा । यहाँ मगर भाषाके वक्ता संख्या २ दशमलव २६ प्रतिशत बावै कलेसे नेपाली भाषाके वक्ता सबसे उच्च संख्या ९५ दशमलव १४ प्रतिशत रहल बा । सुदूूरपश्चिम प्रदेशमे ३० दशमलव ४५ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल डोट्याली ओ १७ दशमलव ०१ प्रतिशत वक्ता संख्या रहल थारु भाषाहे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे विकास कैना सुुझाव डेहल बा ।
यस प्रदेशमे नेपाली भाषाके वक्ता संख्या ३० दशमलव १८ प्रतिशत बा । आयोगसे स्थानीय तहसे फेन तोकल आधारमे सरकारी कामकाजके भाषाके रुपमे कार्यान्वयन करे सेक्ना उल्लेख करल अध्यक्ष डा अवस्थी बटैलै । सिफारिससहितके प्रतिवेदन तयारीके लाग विज्ञ वैरागी काइँला, डा जगमान गुरुङ, प्रा हृदयरत्न बज्राचार्य, प्रा अम्बरराज जोशी, प्रा योगेन्द्रप्रसाद यादव, प्रा चूडामणि बन्धु, प्रा तेजरत्न कंशाकार, प्रा माधवप्रसाद पोखरेल, प्रा नोवलकिशोर राई, प्रा जीवेन्द्रदेव गिरी, प्रा दानराज रेग्मी, प्रा दुविनन्द ढकाल, डा बलराम प्रसाईं ओ डा रुद्रलक्ष्मी श्रेष्ठ सम्मिलित सल्लाहकार समूह बनाइल रहे । यकरसाथे उच्चस्तरीय प्रदेशगत प्रतिवेदन मस्यौदा समिति गठन करल रहे ।
आयोगसे अङ्ग्रेजी भाषाके प्रभावके कारण नेपालमे सरकारी कामकाजके भाषा ओ अन्य राष्ट्रभाषा कमजोर स्थितिसहितके पाँचौँ वार्षिक प्रतिवेदन, २०७८ अँट्वारके राष्ट्रपति विद्यादेवी भण्डारीहे बुझाइल रहे ।
राष्ट्रभाषाके प्रवद्र्धनके लाग आयोगसे नेपालभिट्टर प्रयोगमे रहल सवारी साधनमे नेपालके संविधानसे नैचिनल अङ्ग्रेजी भाषाहे समकक्षी भाषाके रुपमे ग्रहण कैडेना ओ सरकारी कामकाजमे अङ्ग्रेजी भाषाहे समकक्षी भाषा बनैना उपयुक्त नैरहना सुझैले बा । अङ्ग्रेजी माध्यमके शिक्षाहे प्रारम्भिक तहसे विस्तार कैना कार्य संविधानके धारा ७ के (१) के प्रावधान विपरीत रहल जनैटी आयोगसे सङ्घ, प्रदेश ओ स्थानीय तहमे सरकारी कामकाजके भाषा ओ नेपालीके अतिरिक्त प्रदेशसे निर्धारण करल सरकारी कामकाजके भाषामे प्रविधि अनुकूल हुइना मेरके सवारी साधनमे विद्युतीय संकेत संख्या (इम्बोस्ड नम्बर) रख्ना संविधानसम्मत् हुइना सिफारिश करले बा । मातृभाषामे शिक्षा पैना नैसिर्गिक हकके प्रत्याभूतिके लाग स्थानीय तहसे प्रतिबद्धता अइना आवश्यक रहल प्रतिवेदनसे जनाइल बा ।
आयोगके अध्ययनसे थप पहिचान करल आठसहित १३१ भाषा नेपालमे बोलजैना भाषा रहलमे १० हजारसे कम वक्ता संख्या रहल भाषा ७४ बाटै । कम बोलजैनामध्ये मौखिक परम्परामे आधारित ओ अत्यन्त कम वक्ता रहल दुरा, कुसुन्डा, तितुङ, बराम ओ लुङ्खिम जैसिन भाषा लोपोन्मुख अवस्थामे रहल उल्लेख बा । नेपालके जनगणना, २०६८ मे नेपालमे बोलजैना भाषा १२३ रहल तथा नेपाली भाषाके मातृभाषी वक्ता ४४ दशमलव ६४ प्रतिशत ओ डुसरा भाषाके रुपमे नेपाली भाषा प्रयोग कैना ३२ दशमलव २८ प्रतिशत रहल डेखाइल रहे ।
नेपालके संविधानके धारा ३२ मे ‘प्रत्येक व्यक्ति ओ समुदायहे आपन भाषा प्रयोग कैना, सांस्कृतिक जीवनमे सहभागी हुइ पैना ओ आपन भाषा, लिपि, संस्कृति, सांस्कृतिक सभ्यता ओ सम्पदाके संवद्र्धन ओ संरक्षण कैना हक रहल’ व्यवस्था करल बा ।
ओस्टके ‘राज्यसे बहुभाषिक नीति अवलम्बन कैटी टमान भाषाके बीचमे पारस्पारिक सद्भाव, सहिष्णुता ओ ऐक्यबद्धता कायम कैके संघीय एकाइबीच परस्परमे सहयोगात्मक सम्बन्ध विकास कैटी राष्ट्रिय एकता प्रवद्र्धन कैना राज्यके नीति रहल’ उल्लेख बा ।
सरकारी कामकाजके लाग कौन प्रदेशमे कौना भाषा सिफारिस ?
प्रदेश नं. १ मैथिली र लिम्बूू

प्रदेश नं. २ मैथिली, भोजपुरी र बज्जिका
वाग्मती : तामाङ र नेवार
गण्डकी : मगर, गुरुङ र भोजपुरी
लुम्बिनी : थारु र अवधी
कर्णाली : मगर
सुुदूरपश्चिम : थारु र डोट्याली